18 दिसंबर को न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में मानवाधिकार रक्षकों पर महासचिव अंटोनियो गुटेरेस की टिप्पणी निम्नलिखित है:
आज हम मानवाधिकार रक्षकों पर संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र की वर्षगांठ मना रहे हैं। 20 वर्ष पूर्व सर्वसम्मति से इस घोषणापत्र को मंजूर किया गया था।
जैसा कि कीन्या की दिवगंत पर्यावरणीय कार्यकर्ता और नोबल पुरस्कार विजेता वंगारी मथाई ने एक बार कहा था : ‘मानवाधिकार आप लोगों को थाली में नहीं परोस सकते। उनके लिए आपको लड़ना पड़ता है और फिर उसकी रक्षा करनी पड़ती है।’
मानवाधिकार रक्षक दूसरों के हित के लिए ऐसा ही करते हैं।
आज आप मेरे साथ विश्व के मानवाधिकार रक्षकों की सराहना कीजिए जोकि आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, नागरिक और राजनैतिक अधिकारों के सम्मान की मांग करते हुए अपना जीवन समर्पित, और कभी-कभी कुर्बान करते हैं।
ऐसा करने वाले अनेक व्यक्ति और समूह हैं।
आदिवासी लोग अपनी जमीन, परंपराओं और पर्यावरण को दोबारा हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
नागरिक समाज के समूह प्रवासियों को डूबने और शोषित होने से बचा रहे हैं।
मानवाधिकार कार्यकर्ता संघर्ष में फंसे लोगों का जीवन बचाने के लिए सहायक सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं।
महिलाएं बोर्डरूम्स और शांति वार्ता में हिस्सेदारी के लिए संघर्ष कर रही हैं।
वकील न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए जन समर्थन जुटा रहे हैं।
ट्रेड यूनियन नेता अच्छी नौकरियों और अच्छे वेतन के लिए जी जान से जुटे हैं।
पत्रकार गुम होने और भ्रष्टाचार की जांच कर रहे हैं।
पर्यावरणीय कार्यकर्ता प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं।
अफ्रीकी मूल के लोग रंगभेद और भेदभाव के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं।
स्वास्थ्य कर्मचारी एचआईवी रोगियो के उपचार में सुधार के तरीकों की तलाश कर रहे हैं।
सभी मिलजुलकर उन अधिकारो, सिद्धांतों और मूल्यों की रक्षा कर रहे हैं और उनके लिए जन समर्थन जुटा रहे हैं जिन पर संयुक्त राष्ट्र की नींव रखी गई थी।
इन अधिकारों पर कई स्थानों पर खतरा मंडरा रहा है। हम देख रहे हैं कि असहनशीलता बढ़ रही है और नागरिक समाज के संगठनों के लिए कार्य करना मुश्किल हो रहा है। सभी स्थानों पर मानवाधिकारों और मानवाधिकार रक्षकों पर दबाव बढ़ रहा है। यह सब सामान्य बात नहीं होनी चाहिए।
मानवाधिकार रक्षकों को सताया और डराया जा रहा है। उन्हें जेलों में बंद किया जा रहा है, यहां तक कि उनकी हत्या भी की जा रही है। कई देशों ने आतंकवाद से निपटने के लिए ऐसे कानून बनाए हैं या ऐसे उपाय किए हैं कि मानवाधिकार रक्षकों का काम करना मुश्किल हो रहा है।
जैसे कि 2030 की कार्यसूची को लागू करने के दौरान हमें विश्व स्तर पर बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में यह स्वीकार करना जरूरी है कि मानवाधिकार रक्षक सरकारों और संयुक्त राष्ट्र की मदद कर रहे हैं।
अगर उन्हें सुरक्षा दी जाए और ऐसा करने दिया जाए, तभी वे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
मानवाधिकार की रक्षा से देश और समाज मजबूत होते हैं और संघर्षों को रोका जा सकता है। मानवाधिकार की अवहेलना करने से बड़ा नुकसान होता है।
अगर पिछले दो दशक के दौरान विश्व स्तर पर हमने मानवाधिकारों पर अधिक ध्यान दिया होता तो हम कुछ लोगों को मुत्यु का शिकार और पीड़ित होने से बचा सकते थे। अत्यधिक परिश्रम से हासिल किए गए विकास के लाभों की रक्षा कर सकते थे।
यह जरूरी है कि देश और सभी लोग मानवाधिकार रक्षकों को भागीदार समझें और उनके साथ भागीदार जैसा व्यवहार करें- न कि उन्हें खतरा समझें।
जब मानवाधिकार रक्षकों पर खतरा मंडराता है तो संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांत भी खतरे में पड़ते हैं।
शांति और सतत विकास हेतु हमारे कार्यों को आगे बढ़ाने में मानवाधिकार रक्षक एक बहुत बड़ी परिसंपत्ति हैं।
ऐसे रक्षक और संगठन अक्सर पहली चेतावनी देते हैं और आने वाले संकट का संकेत देते हैं। वे जीवन के सभी आयामों के संभावित समाधान देने में मुख्य भूमिका निभाते हैं।
मैं उनकी हिम्मत और त्याग की कद्र करता हूं।
आइए, दुनिया भर में मानवाधिकार रक्षकों को अंगीकार करें जिससे वे अपने महती कार्यों को निरंतर जारी रख सकें।