संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष द्वारा
विकास हेतु वित्त पोषण
टिकाऊ विकास के लिए महत्वपूर्ण क्षण
15 अप्रैल को न्यूयॉर्क में 2019 इकोसॉक विकास हेतु वित्त पोषण संगोष्ठी के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने निम्नलिखित टिप्पणी पेश की:
इस महत्वपूर्ण क्षण में सरकारों, व्यवसाय जगत और समुदायों के साथ मंच साझा करते हुए मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। टिकाऊ विकास की दिशा में तेज गति से आगे बढ़ने के उद्देश्य के साथ हम यहां एकत्र हुए हैं।
हमारे पास गरीबी, असमानता, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय दबावों को कम करने के उपाय मौजूद हैं। 2015 में बहुपक्षीय समझौतों: 2030 की टिकाऊ विकास कार्यसूची, अदीस अबाबा की कार्यगत कार्यसूची और जलवायु परिवर्तन पर पेरिस संधि में इन उपायों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया गया है।
टिकाऊ विकास लक्ष्यों में विकास के निष्पक्ष और टिकाऊ मार्ग की रूपरेखा है जिसमें सभी लोगों को शामिल किया गया है। यह कार्यसूची संदेश देती है कि आपने कहीं भी जन्म लिया हो, आपका समुदाय कितना हाशिए पर हो- हम आपको इस यात्रा का हमसफर बनाना चाहता है- ऐसी यात्रा जिसकी मंजिल बेहतर और समतामूलक समाज है।
लेकिन 2030 की कार्यसूची सिर्फ एक संरचना नहीं है। ये ऐसी ठोस नीतियां हैं जिनसे विश्व की लाखों महिलाओं और लड़कियों, पुरुषों और लड़कों के जीवन में सुधार हो सकता है।
वर्ष 2019 में टिकाऊ विकास लक्ष्यों और पेरिस संधि को लागू किया जाएगा।
यूं अब तक हमारी गति अस्थिर है। हमारे समक्ष गंभीर चुनौतियां और संकट मौजूद हैं।
असमान विकास, ऋण स्तरों में वृद्धि, वित्तीय उतार-चढ़ाव और विश्व व्यापार के बढ़ते तनाव के कारण टिकाऊ विकास लक्ष्यों को लागू करना जटिल हुआ है।
जलवायु परिवर्तन कमजोर समुदायों को विशेष रूप से तबाह कर रहा है और ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन एक बार फिर बढ़ा है।
नई तकनीकों ने श्रम बाजार को बर्बाद किया है, सामाजिक संरक्षण प्रणालियों पर दबाव बढ़ाया है।
अधिकतर लोग उन देशों में बसे हुए हैं जहां असमानताएं बढ़ रही हैं। कुछ देशों में लिंग भेद व्यापक हो रहे हैं।
ऐसे घटनाक्रम चिंता उत्पन्न करते हैं। इन्हें विपरीत दिशा में मोड़ने की तत्काल आवश्यकता है और इस संबंध में विश्वव्यापी पहल के लिए हम यहां एकत्र हुए हैं।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के हालिया अध्ययन से स्पष्ट होता है कि स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, बिजली, पानी और स्वच्छता जैसे क्षेत्रों में विकासशील देशों को लगभग 2.6 खरब अमेरिकी डॉलर की औसत वार्षिक कमी का सामना करना पड़ता है।
इसका अर्थ यह है कि निम्न आय वाले विकासशील देशों को अतिरिक्त वार्षिक व्यय की जरूरत है जोकि उनके सकल घरेलू उत्पाद के 15 प्रतिशत के बराबर है।
साधारण शब्दों में कहें तो टिकाऊ विकास लक्ष्यों को लागू करने के लिए हमें अधिक धन की जरूरत है।
अदीस अबाबा की कार्यगत कार्यसूची टिकाऊ विकास को वित्त पोषित करने के लिए विश्वव्यापी भागीदारी की हमारी रूपरेखा प्रस्तुत करती है। प्रत्येक देश, विशेष रूप से विकसित देशों को अपनी प्रतिबद्धताओं को अवश्य पूरा करना चाहिए।
विकास के लिए निर्धन देशों को विशेष रूप से सहायता देना अनिवार्य है लेकिन हमें इस बात की भी अवहेलना नहीं करनी चाहिए कि संसाधनों को घरेलू स्तर पर जुटाया जाए।
इसका अर्थ है कर राजस्व बढ़ाया जाए। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कर चोरी, मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध वित्तीय प्रवाह से लड़ने के लिए अधिक प्रयास करने होंगे। ऐसी समस्याओं से कर राजस्व प्रभावित होता है। अगर यह पहल सफल होती है तो केवल इनके जरिए भी उभरती हुई बाजार अर्थव्यवस्थाओं में सार्वजनिक सेवाओं को वित्त पोषित किया जा सकता है जोकि टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अनिवार्य हैं।
हम सभी हितधारकों: निजी क्षेत्र, आधिकारिक विकास सहायता, अंतरराष्ट्रीय वित्त पोषण संस्थानों, नागरिक समाज और परोपकारी समुदायों द्वारा निवेश की राशि और प्रभाव, दोनों को बढ़ाने की अपील करते हैं। इस पहल से भी वित्तीय कमी को दूर किया जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों की
मदद से जोखिम कम किए जा सकते हैं। इससे अन्य हितधारक भी निवेश के लिए प्रेरित हो सकते हैं और परोपकार करने वाले समुदायों की आर्थिक सहायता से सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा मिल सकता है।
यूं राष्ट्रीय नीतियां जोखिम को कम करने, एक सक्षम कारोबारी परिवेश तैयार करने, सार्वजनिक लक्ष्यों हेतु निवेश करने और वित्तीय व्यवस्था को दीर्घकालीन टिकाऊ विकास के अनुरूप बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
नए प्रकार का वित्त पोषण भी योगदान दे सकता है जिसमें नए वित्तीय उत्पाद शामिल हैं, जैसे हरित बॉन्ड और सामाजिक निवेश बॉन्ड, जन सहयोग या चंदा और सामाजिक उद्यमशीलता। इनकी संभावना भी विचारणीय है, जैसे हरित बॉन्ड एक दशक में शून्य से 220 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गए हैं।
हमें वित्त तक पहुंच भी बढ़ानी चाहिए जिनसे महिलाएं और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम दर्जे के उद्यम वंचित हो सकते हैं।
नई वित्तीय तकनीकों, संस्थानों और बाजारों में वित्तीय समावेश को बढ़ाने और निवेश की सुविधाओं की अत्यंत संभावनाएं हैं।
पिछले वर्ष मैंने वित्त पोषण की जो रणनीति निर्धारित की थी, उनसे संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में मूलभूत परिवर्तन को सहयोग दे सकता है। विश्वव्यापी आर्थिक नीतियों और वित्तीय प्रणालियों को 2030 की कार्यसूची के अनुकूल करने के लिए यह जरूरी है।
हम इस दिशा में प्रगति कर रहे हैं।
विश्व स्तर पर मैं एक नए समूह का आयोजन कर रहा है जिसका नाम है टिकाऊ विकास गठबंधन के विश्वव्यापी निवेशक। इसमें विश्व की बड़ी कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शामिल हैं। यह टिकाऊ विकास लक्ष्यों के डिजिटिल वित्त पोषण पर गठित कार्यबल के अतिरिक्त है जोकि सितंबर में अपनी अंतरिम रिपोर्ट जारी करेगा।
क्षेत्रीय स्तर पर हम जलवायु संबंधी पहल को वित्त पोषित करने तथा अल्प विकसित देशों एवं छोटे द्वीपीय विकासशील देशों हेतु वित्त पोषण को बढ़ाने के लिए बहुपक्षीय विकास बैंकों के साथ अपने सहयोग को मजबूत कर रहे हैं।
देशों के स्तर पर संयुक्त राष्ट्र विकास प्रणाली के सुधार के अनुरूप हम सरकारों को सहयोग देने की अपनी क्षमता बढ़ा रहे हैं, चूंकि सरकारें ही घरेलू संसाधन जुटाती हैं और निजी एवं सार्वजनिक वित्त पोषण के नए स्रोतों को मार्ग दिखाती हैं।
आपकी आज की चर्चा सितंबर में होने वाले पांच प्रमुख शिखर सम्मेलनों को राह दिखाएगी, विशेष रूप से विकास हेतु वित्त पोषण पर उच्च स्तरीय संवाद। मैं उन बैठक में वित्त मंत्रियों की व्यापक भागीदारी को लेकर आश्वस्त हूं।
पिछले वर्ष के राजनैतिक परिणामों से प्रदर्शित होता है कि इस संगोष्ठी से टिकाऊ विकास के लिए जरूरी वित्त जुटाने के लक्ष्यों की दिशा में आगे बढ़ना संभव होगा।
मैं आप लोगों से आग्रह करता हूं कि आप मजबूत पहल करें और उन क्षेत्रों को चिन्हित करें जिन पर अधिक ध्यान दिए जाने और चर्चा किए जाने की जरूरत है।