संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष द्वारा
महासचिव: विश्व नेताओं को जलवायु परिवर्तन से जुड़े संकट से निपटने के लिए क्रांतिकारी परिवर्तन करने होंगे, हरित विकास को पोषित करना होगा
28 मार्च को न्यूयॉर्क महासभा की जलवायु एवं टिकाऊ विकास पर केंद्रित उच्च स्तरीय बैठक में संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने निम्नलिखित भाषण प्रस्तुत किया:
वर्तमान दौर के सबसे ज्वलंत विषय पर चर्चा करते हुए आज मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है तथा मैं महासभा की अध्यक्ष का धन्यवाद व्यक्त करना चाहता हूं जिन्होंने इस समारोह को वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों पर केंद्रित किया है।
जलवायु परिवर्तन हम सभी को प्रभावित कर रहा है। हर हफ्ते जलवायु परिवर्तन से जुड़ी कोई न कोई विनाशकारी घटना होती है। कोई देश या समुदाय इससे अछूता नहीं है। जैसा कि सदैव होता है, गरीब और कमजोर तबके सबसे अधिक और सबसे बुरी तरह प्रभावित होते हैं। मेरा ह्दय मोजाम्बीक, मालावी और जिम्बाब्वे में इदई चक्रवात से प्रभावित लाखों लोगों के दुख से भरा हुआ है।
ऐसी प्रलयंकारी घटनाएं बार-बार, अधिक गंभीर और व्यापक रूप से हो रही हैं और अगर हमने तत्काल कदम नहीं उठाए तो उनका रूप और बदतर हो सकता है। यह स्पष्ट है कि जलवायु परिवर्तन से दशकों में हुए विकास पर संकट मंडरा रहा है और यह हमारी समावेशी एवं टिकाऊ विकास योजनाओं के लिए खतरा उत्पन्न करता है। अत्यधिक गरीबी से लेकर खाद्य असुरक्षा और जल संकट से लेकर पर्यावरणीय नुकसान तक, जलवायु परिवर्तन के परिणाम स्पष्ट रूप से प्रदर्शित हो रहे हैं।
इसके साथ यह भी सच है कि जलवायु परिवर्तन संबंधी पहल स्वच्छ हवा, सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार और राष्ट्रों एवं अर्थव्यवस्थाओं के लिए अधिक सुरक्षा के जरिए विकास के लाभ को समेकित और तेज करने का अवसर प्रदान करती है। हमारे पास पहल करने के अतिरिक्त कोई चारा नहीं है। हमारे पास जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय दबाव, गरीबी और असमानता द्वारा उत्पन्न समस्याओं के हल निकालने के उपाय मौजूद हैं। ये हल 2015 के बड़े समझौतों- टिकाऊ विकास की 2030 कार्यसूची और जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते में ही निहित हैं।
लेकिन कोई उपाय कारगर साबित नहीं होगा, अगर आप उसका इस्तेमाल न करें। इसलिए आज और प्रत्येक दिन मैं स्पष्ट और सीधी-साधी अपील करता हूं। हमें पहल करने, महत्वाकांक्षा तथा राजनैतिक इच्छाशक्ति रखने की जरूरत है। अधिक पहल करने, अधिक महत्वाकांक्षा और राजनैतिक इच्छा शक्ति रखने की आवश्यकता है। पिछले वर्ष केटोविस, पोलैंड में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के पक्षकार पेरिस समझौते की कार्य योजना पर सहमत हुअ थे जिससे वे इस कार्य योजना का पूर्ण उपयोग कर सकें। जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी पैनल (आईपीसीसी) का कहना है कि हमारे पास जलवायु संबंधी अपरिवर्तनीय घटनाओं से बचने के लिए 12 वर्ष से भी कम समय है। पिछले वर्ष आईपीसीसी की विशेष रिपोर्ट में जानकारी मिली थी कि ग्लोबल वॉर्मिंग के स्तर को 1.5O सेंटीग्रेट के पूर्व औद्योगिक स्तर पर रखने के लिए हमें भूमि, ऊर्जा, उद्योग, भवनों, परिवहन और शहरों के प्रबंधन के तरीकों में ‘तीव्र और दूरगामी संक्रमण की जरूरत होगी’।
जलवायु संबंधी महत्वाकांक्षी पहल और व्यावहारिक लक्ष्यों को प्रस्तुत करने के लिए मैं शिखर सम्मेलन का आयोजन करने वाला हूं। मैं नेताओं से कह रहा हूं: ‘कृपया सितंबर में भाषण के साथ नहीं, योजनाओं के साथ आएं।’ मैं नेताओं से आग्रह कर रहा हूं कि 23 सितंबर को न्यूयॉर्क में ठोस, वास्तविक योजनाओं के साथ आएं ताकि हम एक टिकाऊ मार्ग पर चल सकें। इन योजनाओं में यह प्रदर्शित होना चाहिए कि 2020 तक वे किस प्रकार राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान प्रदान कर सकेंगे।
संयुक्त राष्ट्र अपनी नई पीढ़ी के राष्ट्रीय समूहों के साथ सहायता करने के लिए मुस्तैद है। मैं नेताओं से यह प्रदर्शित करने की अपेक्षा करता हूं कि अगले दशक तक किस प्रकार हम ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को 45 प्रतिशत कम करेंगे और 2050 तक उसे बिल्कुल समाप्त कर देंगे। विज्ञान इसी ओर इंगित करता है। मैं नेताओं से आग्रह करूंगा कि वे ऐसे मुद्दों को लक्षित करें जैसे न्यायप्रद संक्रमण- जहां कोई भी व्यक्ति जलवायु संबंधी पहल से अछूता न रहे। मैं उनसे यह भी कहूंगा कि वे जलवायु संबंधी पहल के अनेक लाभों, जैसे रोजगार सृजन, घटते वायु प्रदूषण और अच्छे जन स्वास्थ्य को भी प्रदर्शित करें।
हम सभी जानते हैं कि हरित अर्थव्यवस्था ही हमारा भविष्य है, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रत्येक व्यक्ति को इसका लाभ मिले और कोई पीछे न छूटे। मैं विभिन्न नेताओं से यह भी कहता हूं कि अपनी योजनाओं में महिलाओं को मुख्य नीति निर्धारकों के रूप में शामिल करें। परिवर्तनकारी दौर में उभर कर सामने आने वाली चुनौतियों को समझना तब आसान होगा, जब हम नीतिगत फैसलों में सभी लिंगों को शामिल करें।
जलवायु संबंधी पहल पर केंद्रित शिखर सम्मेलन सरकारों, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज, स्थानीय अधिकारियों और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों को एक मंच प्रदान करेगा। इस सम्मेलन से उन महत्वाकांक्षी समाधानों को प्रदर्शित और विकसित करना होगा जिनकी हमें जरूरत है। सम्मेलन ऊर्जा संक्रमण, टिकाऊ अवसंरचना, टिकाऊ कृषि, वनों और महासागरों, जलवायु संबंधी आपदाओं के प्रति सुदृढ़ता और हरित अर्थव्यवस्था में निवेश पर ध्यान केंद्रित करेगा।
हम परिवर्तन की तीव्र गति के गवाह हैं। विभिन्न देशों की सरकारें, शहर और व्यवसाय जगत यह समझने लगे हैं कि जलवायु संबंधी समाधान हमारी अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत कर सकते हैं और पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं। नई तकनीकें जीवाश्म-ईंधन संचालित अर्थव्यवस्था की तुलना में कम लागत पर ऊर्जा प्रदान कर रही हैं। सौर और तटवर्ती पवन ऊर्जा अब लगभग सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में ऊर्जा के सबसे सस्ते स्रोत हैं।
लेकिन हमें अपने सभी कदमों में क्रांतिकारी परिवर्तन करना होगा। इसका अर्थ यह है कि जीवाश्म ईंधन और उच्च उत्सर्जन वाले ईंधनों, गैर टिकाऊ कृषि पद्धतियों पर सबसिडी को समाप्त किया जाए, और नवीकृत ऊर्जा, बिजली के वाहनों और जलवायु अनुकूल पद्धतियों की ओर मुड़ा जाए। इसका अर्थ कार्बन प्राइजिंग है जोकि ऊत्सर्जन की वास्तविक लागत, जलवायु संबंधी संकट से लेकर वायु प्रदूषण से उत्पन्न स्वास्थ्य संबंधी जोखिम को प्रदर्शित करती है। इसका अर्थ है, कोयला संयंत्रों को बंद करना, नए संयंत्रों की स्थापना को रोकना और उनमें कार्य करने वाले लोगों को बेहतर विकल्प प्रदान करना ताकि यह परिवर्तन न्यायप्रद, समावेशी और लाभपरक हो।
आने वाले वर्षों में विश्व में अवसंरचना पर व्यापक निवेश किया जाएगा। हमें सुनिश्चित करना होगा कि वह टिकाऊ और जलवायु के अनुकूल हो। इससे हम 2030 की कार्यसूची का मार्ग प्रशस्त करेंगे। इसलिए पहल करने का समय आ गया है। हमें सभी सरकारों की बहुस्तरीय पहल की जरूरत है। इसके लिए उन्हें निजी क्षेत्र और नागरिक समाज का सहयोग लेना होगा।
विश्व स्तर पर स्वच्छ जलवायु हेतु जुलूस निकाले जा रहे हैं जिनका स्पष्ट संकेत है। युवा वर्ग चाहता है कि आज के नेता भविष्य की पीढ़ियों के लिए पहल करें। मैं उनकी इस मांग का समर्थन करता हूं। युवा वर्ग पथ प्रदर्शक है और वर्तमान ही भविष्य का आइना है। हमें इस विश्वव्यापी आपात स्थिति को महत्वाकांक्षा और तात्कालिकता के साथ लक्षित करना होगा। हमारे पास केवल यही विकल्प शेष है।