संयुक्त राष्ट्र महासचिव का संदेश
समकालीन विश्व में महात्मा गांधी
24 सितम्बर से न्यूयॉर्क में नेतृत्व महत्वपूर्ण-समकालीन विश्व में महात्मा गांधी की प्रासंगिकता विषय पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेश का वक्तव्य
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर इस सभा में उपस्थित होना मेरे लिए अत्यंत हर्ष और गौरव की बात है। महात्मा गांधी 20वीं सदी की एक महान हस्ती, विश्व में शांति के प्रतीक और सबसे लाचार लोगों के पक्षधर थे। मैं इस सभा के आयोजन के लिए प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय मिशन को धन्यवाद देता हूं।
गांधी जी की दृष्टि और दर्शन संयुक्त राष्ट्र की गतिविधियों के स्तम्भ हैं।
सभी विषयों के बीच परस्पर संबंध और एकता को देख पाने की उनकी क्षमता उनकी प्रतिभा का एक अंग थी। उनकी राजनीतिक उपलब्धियों में शांति, प्रेम और ईमानदारी के सहारे उस आंदोलन का नेतृत्व करना शामिल था जिसने भारत को औपनिवेशिक शासन से मुक्ति दिलाई। किन्तु उनकी दृष्टि राजनीति के दायरे से बहुत दूर तक जाती थी जिसमें मानव अधिकार और सतत् विकास शामिल थे।
गांधी के लिए अहिंसा मात्र एक दर्शन और एक राजनीतिक रणनीति नहीं, बल्कि न्याय और परिवर्तन हासिल करने का साधन थी। वास्तव में उनके अनेक विचार सतत् विकास के लिए 2030 एजेंडा के पीछे की समग्र सोच के मार्गदर्शक हैं।
उदाहरण के लिए: गांधी ने स्वच्छता के मुद्दे पर कार्रवाई और हिमायत के महत्व को समझकर उस युग में स्वच्छ पेयजल और स्वच्छता सुविधाओं के लिए अभियान चलाया जब इन मुद्दों पर बात करना भी उचित नहीं समझा जाता था।
समाज के सबसे निचले तबके और अस्पृश्य समझे जाने वाले लोगों को गांधी ने हरिजन नाम दिया और उनके हित में गांधी के प्रयासों से हमें किसी को पीछे न छूटने देने और सबसे अंतिम व्यक्ति की सबसे पहले मदद करने के अपने प्रयासों में प्रेरणा लेनी चाहिए।
गांधी विश्व को सबसे निचले स्तर पर खड़े और सबसे कमजोर व्यक्ति के नजरिए से देखते थे फिर भी उन्हें एक सर्वकालिक महानतम नेता माना जाता है। उनके जीवन मूल्य वास्तव में सीमाओं के बंधन से परे थे।
हमने इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र का अपना डाक टिकट जारी किया है। किन्तु हमारे साथ एक सौ से अधिक देशों ने विश्व के इस नेता के सम्मान में डाक टिकट जारी किए हैं अथवा करने वाले हैं।
गांधी की चिरंतन विरासत अनेकानेक विषयों पर हमारी सोच और कार्रवाई के लिए आज भी प्रासंगिक रहने की है। इनमें पर्यावरण संरक्षण से लेकर न्याय के प्रसार तथा शिक्षा से लेकर असमानता तक तमाम विषय शामिल हैं। उनका मार्गदर्शन आज भी ताजा और विचारोत्तेजक है। सत्य का सामना साहस के साथ करने को भी वे बहुत महत्व देते थे।
संभवत: गांधी की सबसे मूल्यवान विरासत शांति की संस्कृति को अस्तित्व में लाने, अहिंसक असहयोग की प्रभावशीलता सिद्ध करने तथा हम जो करते हैं और जो कुछ करने में सक्षम हैं इसके बीच की खाई की तरफ विश्व का ध्यान खींचने की थी।
गांधी के विचार, प्रतिदिन समानता, सशक्तिकरण और वैश्विक नागरिकता के लिए संयुक्त राष्ट्र के कार्य का मार्गदर्शन करते हैं।
मैं जानता हूं कि ये विचार अनेक विश्व नेताओं की सोच को भी प्रभावित करते हैं। मैं उन सबसे आग्रह करता हूं जिन्होंने गांधी की विरासत को श्रद्धांजलि देने का निर्णय लिया है कि वे उनकी जयंती के अवसर पर किसी एक सतत् विकास लक्ष्य से जुड़ा प्रोजैक्ट शुरू करें। मेरे विचार में यह सबसे अधिक परिश्रमी और जीवन भर कार्यरत उस व्यक्ति के प्रति सबसे उपयुक्त सम्मान होगा।
मैं इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र में सिर्फ एक बार इस्तेमाल होने लायक प्लास्टिक का उपयोग बंद करने को समर्थन देने तथा सम्मेलन भवन पर सौर पैनल तथा पर्यावरण अनुकूल छत लगवाने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद देता हूं।
मेरी कामना है कि आपकी यह सभा सफल एवं प्रेरक हो तथा आप गांधी की सोच और उद्देश्यों को पूरी तरह समझने और हमारे दिलों में बसाने में सक्षम हों।