संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाचेलेत का संदेश
युद्ध, विनाश और आर्थिक मंदी से तहस-नहस हुए देशों के अवशेषों पर सत्तर साल पहले विश्व के नेताओं ने एक नए निर्माण की योजना बनाई थी। दुनिया भर के लोगों को अवसाद और पीड़ा से बाहर निकालने के लिए एक बड़ी तैयार की गई थी। यह तैयारी थी- सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणापत्र। उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि समाज और राज्यों में परस्पर संबंध शांतिपूर्ण और स्थायी रहें।
विश्व के कितने ही मुक्ति आंदोलनों ने इस घोषणापत्र ने प्रेरणा ली है और न्याय, सामाजिक संरक्षण, आर्थिक अवसरों और राजनैतिक भागीदारी का मार्ग प्रशस्त किया है। जब भी इस घोषणापत्र की प्रतिबद्धताओं के प्रति सम्मान प्रदर्शित किया गया है, लाखों-लाख जन की गरिमा बढ़ी है, पीड़ा कम हुई और अधिक न्यायपूर्ण समाज की नींव मजबूत हुई। हमें इस मार्ग पर आगे चलना है।
दुनिया में होने वाले बड़े बदलावों से लोग भयाक्रांत हो रहे हैं।
निश्चित रूप से अनिश्चितता और अशांति के दौर में सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणापत्र हमारा पथ प्रदर्शन करता है।
हर कदम पर यह हमारा मार्ग आलोकित करता है।
हमें अधिक सम्मान, अधिक न्याय की जरूरत है। हमें समानता और गरिमा का उत्थान करना चाहिए।
हम ऐसा कर सकते हैं।
हम सभी, चाहे हम दुनिया के किसी भी कोने में हों, मानवाधिकार के लिए अपनी आवाज बुलंद करके बदलाव कर सकते हैं।