21 मार्च, 2019
यूएनआईसी/प्रेस विज्ञप्ति 037/2019
संयुक्त राष्ट्र महासचिव का संदेश
अंतर्राष्ट्रीय नस्लभेद उन्मूलन दिवस
21 मार्च, 2019
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेश का संदेश
अंतर्राष्ट्रीय नस्लभेद उन्मूलन दिवस हम सबके लिए नस्लवाद, नस्लभेद, विदेशियों के प्रति नफरत और संबद्ध हिंसा, सामीवाद विरोधी और मुस्लिम विरोधी हिंसा की समाप्ति का अपना संकल्प दोहराने का अवसर है। न्यूजीलैंड में हाल में दो मस्जिदों में जो नर संहार हुआ वह इस विष से उत्पन्न सबसे नई त्रासदी है।
कोई देश या समुदाय नस्लवाद और धार्मिक हिंसा तथा कट्टरपंथियों के आतंकवाद से अछूता नहीं है। हाल में विदेशियों के प्रति नफरत, नस्लवाद और असहिष्णुता में जो बढ़ोत्तरी हुई है, उससे मैं बहुत अधिक चिंतित हूं। नफरत की बोली, समाज की मुख्यधारा में आ रही है और सोशल मीडिया व रेडियो के जरिए जंगल में आग की तरह फैल रही है।
यह उदारवादी लोकतंत्रों और अधिनायकवादी देशों दोनों में समान रूप से फैल रही है। ये अंधेरी शक्तियां लोकतांत्रिक मूल्यों, सामाजिक हिंसा और शांति को निगल रही हैं। लोगों पर जब उनकी नस्ल, धर्म या जाति के नाम पर शारीरिक, मौखिक अथवा सोशल मीडिया के जरिए हमले किए जाते हैं तो समूचा समाज घायल होता है।
हम सबके लिए यह जरूरी है कि हम एक-दूसरे का हाथ थामें, खड़े हों और बराबरी तथा मानवीय गरिमा के सिद्धांतों की हिफाजत करें। हमारे समाजों में आज जिस तरह की दरारें और ध्रुवीकरण आम दिखाई दे रहे हैं उन सबको सुधारने के लिए हम सबको कड़ी मेहनत करनी होगी। हमें विविधता की सफलता के लिए परस्पर सद्भाव और निवेश बढ़ाना होगा और हमें उन राजनीतिक शक्तियों को अस्वीकार कर उनका प्रतिकार करना होगा जो चुनावी लाभ के लिए मतभेदों का फायदा उठाते हैं।
हमें यह सवाल भी करना होगा कि इतने सारे लोग समाज से बहिष्कृत क्यों महसूस करते हैं और दूसरों के प्रति असहिष्णुता के संदेशों के भुलावे में क्यों आ जाते हैं?
हमें श्रेष्ठ नस्ल की हानिकारक और विषैली मान्यता को चूर करने के लिए हर किसी को जोड़ना होगा। नात्ज़ियों की नकली साइंस से होलोकास्ट की जो फसल लहराई थी उसके दशकों बाद आज भी दुनिया में नव नात्ज़ी सोच, और श्वेत श्रेष्ठता की भावना न सिर्फ मौजूद है, बल्कि भड़क रही है। हमें इस तरह की झूठी मान्यताओं को हमेशा के लिए दफन कर देना चाहिए।
आइए, आज हम संकल्प लें कि जहां कहीं भी नस्लवाद और भेदभाव होता है, उसका डटकर मुकाबला करेंगे। आइए हम सोचें कि किस तरह से हर देश में हर स्तर पर भेदभावहीनता को बढ़ावा दिया जा सकता है। हम सब अपनी मानवीयता से जुड़े हुए हैं। हम सब बराबर हैं। हम सबको एक-दूसरे के कल्याण के प्रति सचेत रहना चाहिए।